मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, September 1, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: छोटा सा कटाक्ष
"निरंतर" की कलम से.....: छोटा सा कटाक्ष: जुबान का फिसलना क़यामत ढाह गया छोटा सा कटाक्ष ह्रदय में शूल बन कर चुभ गया संवाद के अभाव में ज़ख्म बन गया मन पर अहम् का भ...
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