Friday, August 30, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: कितना कुछ कह जाते हैं पत्ते

"निरंतर" की कलम से.....: कितना कुछ कह जाते हैं पत्ते: कोंपल से पत्ता बनने तक पत्ता बनने से झड़ने तक मूक रहते हैं सहते हैं, आंधी तूफ़ान गर्मी सर्दी से लड़ते हैं बसंत में झूम...

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