मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, August 25, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: अगर सोच सार्थक हो
"निरंतर" की कलम से.....: अगर सोच सार्थक हो: बचपन से सुनता रहा हूँ अब भी निरंतर सुनता हूँ आगे भी सुनता रहूँगा जीवन रोने के लिए नहीं हँसने के लिए होता है बात असत्य नहीं है पर य...
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