मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, August 13, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: मन कहाँ मानता है
"निरंतर" की कलम से.....: मन कहाँ मानता है: मन कहाँ मानता है कहना किसी का जो मेरी मानेगा कितना भी समझाओ समझता नहीं है लाख सर फुटव्वल करो मान मनुहार करो जिद पर अड़ जाए त...
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