मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Friday, August 30, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: तटस्थ
"निरंतर" की कलम से.....: तटस्थ: बड़ी आसानी से तुमने कह दिया तुम किसी के झगडे में नहीं पड़ते हो सदा तटस्थ रहते हो हर झगडे में एक सही दूसरा गलत होता है जानते हुए ...
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