मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, August 20, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: महकते फूल
"निरंतर" की कलम से.....: महकते फूल: चांदी सा चमकते चमेली के फूल को देखा काँटों की बीच सुर्ख लाल गुलाब को झांकते देखा हर सिंगार के नन्हे फूल को सुगंध फैलाते देखा...
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