मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Saturday, August 10, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: क्या खोया क्या पाया
"निरंतर" की कलम से.....: क्या खोया क्या पाया: क्या खोया क्या पाया जिंदगी में अब तो जान लो नहीं लगाया हो हिसाब तो अब लगा लो कितनो का दिल दुखाया कितनों को दुश्मन बनाया अब तो दिल...
No comments:
Post a Comment