मेरा मन कुछ कहता है, निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है, विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं , उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ, आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, June 26, 2012
निरंतर कह रहा .......: मेरी आत्मा
निरंतर कह रहा .......: मेरी आत्मा: शरीर की कितनी पडतों के नीचे दबी है मेरी आत्मा मुझे पता नहीं शरीर में कहाँ छुपी है मेरी आत्मा मुझे पता नहीं इतना अवश्य पता...
Monday, June 25, 2012
निरंतर कह रहा .......: क्यों कहते,तुम अकेले हो
निरंतर कह रहा .......: क्यों कहते,तुम अकेले हो: क्यों कहते,तुम अकेले हो किसी के साथ कोई नहीं होता तुम कहते तुम अकेले हो हर तरह के इंसान मिलते जीवन में जो हँसाते भी हैं रुल...
निरंतर कह रहा .......: कौन कहता है?, आग पानी का साथ नहीं हो सकता
निरंतर कह रहा .......: कौन कहता है?, आग पानी का साथ नहीं हो सकता: कौन कहता है ? आग पानी का साथ नहीं हो सकता मैं सबूत हूँ नफरत भरे रिश्तों की आग में भी जीवित रहा समस्याओं की कसौटी पर खरा उतर...
निरंतर कह रहा .......: कितनी नाव,कितने मांझी बदलोगे
निरंतर कह रहा .......: कितनी नाव,कितने मांझी बदलोगे: कितनी नाव कितने मांझी बदलोगे कितने दोस्त कितने साथी बदलोगे अब अपनी इस फितरत को विराम मचलते मन को विश्राम दे दो ज़िन्द...
निरंतर कह रहा .......: इच्छाओं की कस्तूरी
निरंतर कह रहा .......: इच्छाओं की कस्तूरी: इच्छाओं की कस्तूरी मनमोहिनी सुगंध से मुझे निरंतर लुभाती संतुष्टी के पथ से डिगाने का निष्फल प्रयत्न करती मेरे संयम की बार बा...
निरंतर कह रहा .......: पुराने हो गए हैं,तो क्या बदल दोगे
निरंतर कह रहा .......: पुराने हो गए हैं,तो क्या बदल दोगे: पुराने हो गए हैं तो क्या बदल दोगे कूडा समझ कर फैंक दोगे ये भी तो सोच लो नया कहाँ से लाओगे तुम कह दोगे नए की ज़रुरत ही नहीं...
Tuesday, June 5, 2012
निरंतर कह रहा .......: खाई है चोट अगर
निरंतर कह रहा .......: खाई है चोट अगर: खाई है चोट अगर तो रोते क्यूं हो फिर ना भुगतो दोबारा कुछ ऐसा करो जहन के दरवाज़े खुले रखो खुद भी अन्दर झाँक कर देख लो क...
निरंतर कह रहा .......: हर हाल में संतुष्ट रहते
निरंतर कह रहा .......: हर हाल में संतुष्ट रहते: गोधुली वेला में गाँव की सड़क पर शहर की ओर अग्रसर था गाय बैलों का रेवड़ गाँव की तरफ लौट रहा था पैरों से उडी धूल ने नाक आँख...
निरंतर कह रहा .......: राह मुश्किल हो गयी तो क्या चलना बंद कर दूं
निरंतर कह रहा .......: राह मुश्किल हो गयी तो क्या चलना बंद कर दूं: राह मुश्किल हो गयी तो क्या चलना बंद कर दूं गिर गया तो क्या उठूँ नहीं जो चलेगा वही तो गिरेगा उठेगा नहीं तो मंजिल पर ...
निरंतर कह रहा .......: दिल जीतने के लिए
निरंतर कह रहा .......: दिल जीतने के लिए: मीठी बातें मुस्कराता चेहरा ही काफी नहीं होता किसी को लुभाने के लिए साथ हँसना पड़ता साथ रोना पड़ता विश्वास जीतने के लिए लेन...
निरंतर कह रहा .......: मैं अनपढ़ ही ठीक हूँ
निरंतर कह रहा .......: मैं अनपढ़ ही ठीक हूँ: मैं कभी स्कूल नहीं गया किताब का एक अक्षर भी कभी नहीं पढ़ा लोगों को बोलते देखा जो अच्छा लगा उसका अनुसरण कर लिया जो अच्छा नह...
Monday, June 4, 2012
निरंतर कह रहा .......: मैं अनपढ़ ही ठीक हूँ
निरंतर कह रहा .......: मैं अनपढ़ ही ठीक हूँ: मैं कभी स्कूल नहीं गया किताब का एक अक्षर भी कभी नहीं पढ़ा लोगों को बोलते देखा जो अच्छा लगा उसका अनुसरण कर लिया जो अच्छा नह...
Sunday, June 3, 2012
निरंतर कह रहा .......: बहुत कुछ सहना होता है ,दिल जीतने के लिए
निरंतर कह रहा .......: बहुत कुछ सहना होता है ,दिल जीतने के लिए: मीठी बातें मुस्कराता चेहरा ही काफी नहीं होता किसी को लुभाने के लिए साथ हँसना पड़ता साथ रोना पड़ता विश्वास जीतने के लिए ल...
निरंतर कह रहा .......: कैसे हाँ कहूँ ? जब ना कहना चाहता हूँ ?
निरंतर कह रहा .......: कैसे हाँ कहूँ ? जब ना कहना चाहता हूँ ?: कैसे हाँ कहूँ ? जब ना कहना चाहता हूँ ? पर ना भी कैसे कहूँ ? समझ नहीं पाता हूँ झंझावत में फंसा हूँ रिश्तों के बिगड़ने का खौफ दु...
निरंतर कह रहा .......: सब आँखें बंद कर चल रहे हैं
निरंतर कह रहा .......: सब आँखें बंद कर चल रहे हैं: सब आँखें बंद कर चल रहे हैं फिर भी गिरने से डर रहे हैं सुकून की तलाश में नफरत के शोले भड़का रहे हैं काँटों की डगर क...
निरंतर कह रहा .......: ये कैसी ज़िन्दगी?
निरंतर कह रहा .......: ये कैसी ज़िन्दगी?: ये कैसी ज़िन्दगी? जिसमें रंग नहीं खुशी नहीं गले मिल कर हँसना नहीं मिलजुल कर रहना नहीं कल क्या होगा? कल क्या करना है? ...
निरंतर कह रहा .......: घर की खामोशी
निरंतर कह रहा .......: घर की खामोशी: घर की खामोशी हर पल दिल को चीरने लगी आपस में कलह साफ़ दिखने लगी सुबह को ही शाम होने लगी एक दूसरे पर ऊंगली उठने लगी प...
निरंतर कह रहा .......: उजड़ गयी जब फसल सारी
निरंतर कह रहा .......: उजड़ गयी जब फसल सारी: उजड़ गयी जब फसल सारी तुम पूछते खलिहान कहाँ है बिखर चुका जब परिवार सारा तुम पूछते घर कहाँ है खुद गए रास्ते में गडडे अब...
निरंतर कह रहा .......: आज फिर ज़ख्म हरे हो गए
निरंतर कह रहा .......: आज फिर ज़ख्म हरे हो गए: आज फिर ज़ख्म हरे हो गए वो हमारे सामने से निकल गए देख कर भी अनदेखा कर गए अपनी तंगदिली पर मोहर लगा गए ये ज़रूरी नहीं है ...
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