मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, June 26, 2012
निरंतर कह रहा .......: मेरी आत्मा
निरंतर कह रहा .......: मेरी आत्मा: शरीर की कितनी पडतों के नीचे दबी है मेरी आत्मा मुझे पता नहीं शरीर में कहाँ छुपी है मेरी आत्मा मुझे पता नहीं इतना अवश्य पता...
No comments:
Post a Comment