मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, May 29, 2012
निरंतर कह रहा .......: लक्ष्य की और
निरंतर कह रहा .......: लक्ष्य की और: कोई हाथ पकड़ता है कोई पैर खींचता है कोई बातों से विचलित करने की कोशिश तो कोई अवरोध खड़े करता हैं चारों तरफ से मुझे पथ से ...
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