मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, May 6, 2012
निरंतर कह रहा .......: कुंठा की अभिव्यक्ती
निरंतर कह रहा .......: कुंठा की अभिव्यक्ती: प्रेम , प्यार , मोहब्बत तुम कहते हो खामोश रहूँ आंसू ना बहाऊँ भावनाओं को खुले आम ना दर्शाऊँ तो , क्या ग़मों को पीता रहूँ उनका...
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