मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, April 17, 2012
निरंतर कह रहा .......: आज इतना हँसो
निरंतर कह रहा .......: आज इतना हँसो: आज इतना हँसो कि हँसी तुमसे खुद पूछे तुम्हें हुआ क्या है ? क्या बात हुयी ऐसी जो दिल इतना खुश है क्यूं छिपा कर रखा है ? मुझे भी बता दो वो रा...
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