मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, March 11, 2012
निरंतर कह रहा .......: परिस्थितियों के अनुसार
निरंतर कह रहा .......: परिस्थितियों के अनुसार: ना सूरज का पूरब से निकलना बदलता ना पश्चिम में ढलना बदलता बदलना पड़ता तो मनुष्य को बदलना पड़ता परिस्थितियों के अनुसार ढलना पड़ता समय के सामने ...
No comments:
Post a Comment