मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Thursday, February 16, 2012
निरंतर कह रहा .......: क्या सोचता होगा ?
निरंतर कह रहा .......: क्या सोचता होगा ?: क्या सोचता होगा साज़ ? जब खेलती नहीं ऊँगलिया उससे बजाता नहीं कई दिनों तक उसे कोई निकालता नहीं कोई सुर नया पौंछता नहीं जमी हुयी धूल कोई पूँछता...
No comments:
Post a Comment