मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Saturday, February 18, 2012
निरंतर कह रहा .......: कौन इन्हें समझाएं?
निरंतर कह रहा .......: कौन इन्हें समझाएं?: इन आँखों ने देखे बेहद खूबसूरत नज़ारे कल कल करते झरने रंग बिरंगे फूल , ऊंचे सुन्दर पहाड़ भाँती भाँती के जानवर नयनाभिराम पक्षी फिर भी इनकी इच्...
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