क्या हम भी वही कर रहे हैं
जो सब कर रहे हैं ?
क्या हम भीड़ की तरफ जा रहे हैं ?
यह बहुत बड़ी समस्या है
लोग बिना सोचे समझे
समूह या भीड़ की तरफ चले जाते हैं ,
कई बार दौड़ तक लगाते हैं
केवल समूह का अनुसरण करना
या जो सब कर रहे हैं
करना ठीक नहीं होता,
मेरा मानना है,स्वयं को उस पर
चिंतन,मनन करना चाहिए ,
अच्छी तरह सोच विचार के पश्चात ही
समूह के साथ जाना चाहिए.
जैसा सब कर रहे वैसा करना चाहिए
अधिकतर समूह के निर्णय
बहुत कुछ उसके नेतृत्व पर
निर्भर भी करते हैं
भेड़ चाल इसी को कहते हैं.
मैंने कई बार लोगों को
बाद में पछताते देखा है
01-12-2011-43
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”
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