Tuesday, November 15, 2011

विचारों का प्रवाह


विचारों का प्रवाह
मनुष्य के मष्तिष्क की
एक सामान्य प्रक्रिया है
पर सद विचार ही आयें,
उसके लिये सत्संग आवश्यक है .
सद विचार रखने वाले लोग
आपको निरंतर सद विचारों के प्रति
प्रोत्साहित करेंगे .
साथ ही विचारों के प्रवाह को
नियंत्रित करना भी अति आवश्यक है
अवांछनीय विचार मष्तिष्क में आते ही
उन्हें परिष्कृत करना भी सीखना चाहिए.
तत्काल कुछ और कार्य में अपने को
तल्लीन करना चाहिए
24-10-2011
1702-109-10-11-27
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

No comments: