Tuesday, November 15, 2011

स्त्री बल


अधिकतर पुरुष वर्ग समझता है,
स्त्रियाँ निर्बल होती हैं,
वास्तविकता इसके विपरीत है,
शारीरिक बल स्त्रियों का कम हो सकता है
पर आत्मिक बल अधिक होता है,
सहने और करने की शक्ती भी अधिक होती है,
जो त्याग और बलिदान स्त्रियाँ करती हैं ,
उसकी अनदेखी होती रही है.
दुःख है की,पुरुष प्रधान समाज
इस कटु सत्य को नज़रंदाज़ करता रहा है.
08-11-2011
1760-28-11-11-24
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

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