Monday, November 14, 2011

भेंट



जो भी भेंट में मिले
उस पर 
टीका टिप्पणी मत करो
उसे सहर्ष स्वीकार करो
स्नेह के दो शब्दों को भी 
भेंट स कम ना समझो
भेंट लेने देने को 
रिश्तों का पैमाना मत
 बनाओ 
13-11-2011-3
डा.राजेंद्र तेला,'निरंतर"
अजमेर (राजस्थान)

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